आचार्य चतुसेन शास्त्री--वैशाली की नगरबधू-

164 Part

253 times read

1 Liked

118. असमंजस : वैशाली की नगरवधू बहुत भोर में वधू की निद्रा , तंद्रा या मूर्छा भंग हुई। वह हड़बड़ाकर उठ बैठी । उसने अचकचाकर रात की अकल्पनीय घटना पर विचार ...

Chapter

×